Tuesday, October 27, 2009

गांव में गोरी की मस्त चुदाई

गांव में गोरी की मस्त चुदाई

शहर में तीन साल की पढ़ाई के बाद मैं बिल्कुल ही बदल चुका था, लेकिन मेरे पड़ोसी हरखू काका की बेटी गोरी मुझे पहले जैसा लल्लू ही समझती थी। मैंने इंटर तक पढ़ाई गांव में ही की थी। तब तक खेती और पढ़ाई के अतिरिक्त दुनियादारी को मुझे कोई समझ नहीं थी। गांव के सिवान पर हमारे और गोरी के खेत थे। मैं स्कूल से वापस आने के बाद सीधे खेत में चला जाता। वह भी स्कूल से आकर अपनी बकरियां लेकर वहीं आ जाती। मेरे पहुंचने पर हरखू काका गांजा पीने के लिए चले जाते।

जब मैंने बारहवीं के बाद गांव छोड़ा तो वह सातवीं में थी। मैंने जब बी ए पास किया तो वह दसवीं में आ गयी। उसकी नीबू के आकार की चूचियां सेब के आकार में बदल गयीं। होस्टल के जीवन ने मेरी काया ही पलट दी थी। मूठ मारना मैंने वहीं आकर सीखा। उस समय मेरे सामने गोरी का ही चेहरा होता। मैं उसी की चुदाई की कल्पना करके मूठ मारता। मूठ मारते मारते मेरा लन्ड थोड़ा टेढ़ा भी हो गया था। सुपाड़े की चमड़ी खुल गयी थी। कभी कभी तो हम तीन लड़के एक साथ ही मूठ मारते।

हर बार मूठ मारते मैं यही सोचता कि बस यह अन्तिम बार है, अब जाकर साक्षात ही उसे चोदूंगा। वह मेरे सामने ही जवान हो रही थी, लेकिन अवसर ही नहीं मिला। पहले साल के बाद मैं जब दूसरे साल मैं यह सब जान सका तो वह गरमियों की छुट्टियों में अपने ननिहाल चली गई। उसके बाद बीच में ऐसा अवसर ही नहीं मिला कि मैं कोशिश करुं।

फाइनल की परीक्षा के बाद दैवयोग से वह अवसर मिल गया। मैं जानता तो नहीं था कि उसके मन में क्या है लेकिन एक दिन बाबू जब मुकदमें के सिलसिले में बाहर चले गये तो मैं दोपहर का खाना खाने के बाद खेत में चला गया। वहां मेरे ट्यूबवेल के पास आम का घना पेड़ था।

मैंने माई से कहा कि मैं जाकर वहीं कुछ पढ़ूंगा और सो जाऊंगा।

मेरे ट्यूबवेल से हरखू काका अपने गन्ने में पानी लगा रहे थे। चिलचिलाती दुपहरिया थी। उनका खेत निकट ही था। वह पानी खोलकर वही मेरे ट्यूबवेल के घर में रखी खटोली पर लेटे थे। मुझे देखकर उठ गये। बातें करने लगे। पता चला कि गोरी अब खाना लेकर आती ही होगी।

यह सुनकर न जाने मेरा मन क्यों खिल उठा। मेरी छठी इंद्री ने कहा अभी हरखू काका खाना खाकर गांजा पीने जायेंगे। आज बिना चोदे छोड़ूंगा नहीं!

मेरा सोचा सही हुआ। पानी का काम बस दो-तीन घंटे में पूरा होने वाला था। वह गोरी को पानी देखने के लिए कहकर मुझसे बोले कि काम होने के बाद पंप बन्द कर दूं तब यह चली जायेगी, मुझे देर हो जायेगी।

गोरी खेत का एक चक्कर लगाकर आकर वहीं भूमि पर बिछे एक बोरे पर बैठ गई।

मैंने उसे गौर से देखा। उसने छींट की सलवार और कुरती पहने थी। उसकी चूंचियां सेब से भी बड़ी थीं। नीचे केवल शमीज थी, ब्रा नहीं। इसलिए उनका पूरा आकार मेरी आंखों में था। शरीर भरा था।

वह चुप ही बैठी थी। मैंने बात आरम्भ की, ” तुम काफी बड़ी हो गयी हो। “

वह चुप ही रही। मैंने फिर कहा, ” खूबसूरत हो गयी हो। “

” हट ” वह बोली।

” भगवान कसम!” मैंने कहा।

उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो मेरी समझ में नहीं आया कि क्या कहूं। थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद मैंने कहा, ” आओ चारपाई पर बैठ जाओ। क्यों जमीन पर बैठी हो? “

” यहीं ठीक है। ” उसने कहा।

मैंने चारों तरफ देखा, सन्नाटा था। सूरज बिल्कुल सिर के ऊपर आ गया था। गांव की तरफ गन्ने के खेत थे। पेड़ की आड़ भी थी। मैं हिम्मत सजोकर उठा और उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा, आओ पास बैठो। अच्छा नहीं लग रहा है।”

उसने विरोध किया तो मैंने और जोर लगाया। वह खड़ी हो गयी। मैंने उसे अपनी तरफ खींचा तो वह चारपाई पर गिरते-गिरते बैठ गयी। संम्भवतः उसे मेरी नीयत का आभास हो गया था। उसकी सांसे लम्बी हो गयीं।

मै एक बार फिर इधर उधर देखकर उससे सट कर बैठ गया और उसका हाथ पकड़ लिया।

गोरी बोली, ” लल्लू भैया छोड़ो, अभी कोई देखेगा तो क्या कहेगा? “

उसका यह कहना था, मैं तो निश्चिन्त हो गया। उसे अपनी भुजाओं में कसकर जकड़ लिया और कहा,” आज मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं। मेरी नीयत बहुत दिनों से तुम्हारे ऊपर है। ” फिर मैं उसकी दाहिनी चूची को शमीज के ऊपर से पकड़कर मलने लगा।

वह घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी, ” छोड़ दो! छोड़ दो! “

मैंने उसकी आवाज को बन्द करने के लिए उसके मुंह पर अपना मुंह लगाकर पहले होंठ को किस किया फिर मुँह में जीभ डालकर उसकी जीभ को चूसने लगा।

वह अभी भी छुड़ाने का हल्का सा प्रयास कर रही थी, लेकिन वह शक्ति नहीं थी जो छुड़ाने के लिए होनी चाहिए थी।

थोड़ी देर उसकी जीभ चूसने के बाद मैंने उसके मुंह से अपना मुंह हटाकर फिर उसकी चूचियों पर आ गया। इस बार उसकी कुरती को शमीज के साथ ऊपर करके दोनों चूचियों को नंगा कर दिया। उसके चूचियों की ढेंपी कड़ी हो गयी थी।

एक चूची को मलते हुए दूसरी पर जब मुंह लगाया तो वह अहक कर बोली, ” चलों किसी खेत में “

” इसका मतलब है कि तुम पहले ही करवा चुकी हो? “

” भगवान कसम नहीं ! “

” तब तुमने कैसे कहा कि चलो खेत में? “

” यहां कोई देख लेगा तो जान मार देगा “

कोई नहीं देखेगा, कहकर मैंने एक हाथ से उसकी चूची को मसलते हुए दूसरे को अपने लन्ड पर रख दिया। लुंगी के नीचे जांघिया में मेरा लंड खड़ा हो गया था।

उसने हाथ हटा लिया।

मैंने फिर खींचकर हाथ रक्खा और कहा, “सहलाओ न मजा आयेगा। यह तो जान ही लो कि आज बिना चोदे छोड़ने वाला नहीं।”

” अभी तो! “कहकर उसने मेरा लंड पकड़ लिया।

मीजते हुए मैंने देखा कि उसकी चुचियां फूलने लगीं। वह अकड़ने भी लगी थी।

उसे वहीं चारपाई पर लिटाकर सलवार का नाड़ा खोलकर देखा तो उसकी चूत झांटों से भरी थी।

मैंनें कहा, ” इसे साफ नहीं करती? “

वह बोली, ” मुझे डर लगता हैं। बालसफा साबुन भी तो कौन लाये। यहां गांव में औरतें गरम राख से बनाती हैं। “

मैंने देखा कि अब उसकी चूत पूरी तरह पनिया गयी है इधर मेरे बाबू जी अब काबू से बाहर हो रहे थे। वह मस्ती में बेसुध होने लगी तो मैंने कहा चलो ट्यूबेल वाले कमरे में।

वह उठकर सलवार पकड़े इधर उधर देखते अन्दर चली गयी। मैं भी गया और अपनी जांघिया निकालकर उसकी जांघों से एक मोहरी निकालकर उसकी टांगे चीरकर लंड को उसकी पनियाई बुर के मुहाने पर रखकर उसकी दोनों टांगों को फैलाकर उसके ऊपर छा गया। कसते ही सट से लंड उसके अन्दर चला गया।

उसने कहा, ” आह! “

फिर मैं घपाघप धक्के मारने लगा। उसने मेरी पीठ को ऊपर से कस लिया और नोचने लगी।

मैंने चोदते हुए उससे पूछा, ” गोरी तूने किसी और से तो नहीं चुदवाया क्योंकि तू तो मजे ले रही है।”

वह बोली, “तुम्हारी कसम नहीं। दर्द वाली बात झूठी होती है। मैं सायकिल चलाती हूं एक दिन मेरी झिल्ली फट गयी। अब गांव में भी लड़कियां मूठ मारती हैं।”

बातें करने में मेरा ध्यान बंट गया। तो थोड़ा समय और लग गया। मैं कमर चलाता रहा। वह नीचे से अपनी कमर हिलाती रही। मैं एकाएक फड़फड़ाकर झड़ गया और उसे छाप लिया। झड़ने के बाद भी मेरा लंड खड़ा था। उसकी बुर की पुत्ती फूल गयी थी। मेरा बीज उसकी बुर से होता हुआ जांघों तक फैला था। मैंने अपने जांघिये से उसे साफ किया।

वह उठी और सलवार बांधकर धीरे से कमरे से बाहर चली आयी थोड़ी देर बाद मैं भी निकल आया।

फिर तो मैं सारी छुट्टी उसे पत्नी की तरह चोदता रहा। हम दोनों ही प्रयत्न करते कि खेत में कोई काम रहे।


रानी की कुंवारी चूत


मेरी फेमिली में में हूँ माताज़ी, पिताजी हें और मुझ से तीन साल बड़ी दीदी है जिस का नाम है शालिनी. मैं और दीदी एक दूजे से बहुत प्यार करते हें. भाई बहन से ज़्यादा हम दोस्त हें. हम एक दूजे की निजी बातें जानते हें और मुश्केली में राय लेते देते हें. सेक्स के बारे में हम काफ़ी खुले विचार के हें, हालाँकि हम ने आपस में चुदाई नहीं की है जब में छोटा था तब अक्सर वो मुज़े नहलाती थी. उस वक़्त मात्र कुतूहल से दीदी मेरी लोडी के साथ खेला करती थी. मुज़े गुदगुदी होती थी और लोडी कड़ी हो जाती थी. जैसे जैसे उमर बढ़ती चली तैसे तैसे हमारी छेड़ छाड़ बढ़ती चली. ये बिना बनी तब मैं सत्रह साल का था और वो बीस साल की. तब तक मेने उस की चुचियाँ देख ली थी, भोस देख ली थी और उस ने मेरा लंड हाथ में लेकर मूट मार लिया था. चुदाई क्या है कैसे की जाती है क्यूं की जाती है ये सब मुझे उस ने सिखाया था.

कहानी शुरू होती है शालिनी की शादी से. पिताजी ने बड़ी धाम धूम से शादी मनाई. बारात दो दिन महेमान रही. खाना पीना, गाना बजाना सब दो दिन चला. जीजाजी शैलेश कुमार उस वक़्त बाइस साल के थे और बहुत ख़ूबसूरत थे. दीदी भी कुछ कम नहीं थी. लोग कहते थे की जोड़ी सुंदर बनी है

बारात में सोलह साल की एक लड़की थी, रानी, जीजू की छोटी बहन दीदी की ननद. वे भाई बहन भी एक दूजे से बहुत प्यार करते थे. रानी पाँच फूट लंबी थी, गोरी थी और पतली थी. गोल चहेरे पैर काली काली बड़ी आँखें थी/ बाल काले और लंबे थे. कमर पतली थी और नितंब भारी थे. कबूतर की जोड़ी जैसे छोटे छोटे स्तन सीने पर लगे हुए थे. मेरी तरह वो बचपन से निकल कर जवानी में क़दम रख रही थी.

क्या हुआ, कुछ पता नहीं लेकिन पहले दिन से ही रानी मुझ से नाराज़ थी. जब भी मुझ से मिलती तब डोरे निकालती और हून्ह— कह कर मुँह मुचकोड़ कर चली जाती थी. एक बार मुझे अकेले में मिली और बोली : तू रोहित हो ना ? पता है ? मेरे भैया तेरी बहन की फाड़ के रख देंगे .
ऐसी बालिश बात सुन कर मुझे ग़ुस्सा आ गया. भला कौन दूल्हा अपनी दुल्हन की ज़िली तोड़े बिना रहता है ? अपने आप पर कंट्रोल रख कर मैने कहा : तू भी एक लड़की हो, एक ना एक दिन तेरी भी कोई फाड़ देगा .
मुँह लटकाए वो चली गयी .

दीदी ससुराल से तीन दिन बाद आई. मैने मा को उसे कहते सुना : डरने की कोई बात नहीं है कभी कभी आदमी देर लगाता है सब ठीक हो जाएगा .
अकेली पा कर मैने उसे पूछा : क्यूं री ? साजन से चुदवा के आई हो ना ? कैसा है जीजू का लंड ? बहुत दर्द हुआ था पहली बार ?
दीदी : कुछ नहीं हुआ है रोहित. वो रानी अपने भैया से छूटती नहीं, रोज़ हमारे साथ सोती है तेरे जीजू ने एक बार अलग कमरे में सोने को कहा तो रोने लगी और हंगामा मचा दिया.

मैं समझ गया, दीदी चुदाये बिना आई थी. पाँच सात दिन बाद वो फिर ससुराल गयी और एक महीने के बाद आई. अब की बार उसे देख कर मेरा दिल डूब गया. उस के चहरे पर से नूर उड़ गया था, कम से कम पाँच किलो वज़न घट गया था, आँखें आस पास काले धब्बे पड़ गये थे. उस का हाल देख कर माताज़ी रो पड़ी. दीदी ने मुझे बताया की वो अब भी कँवारी थी, जीजू ने एक बार भी चोदा नहीं था. मैने पूछा : जीजू का लंड तो ठीक है ना, खड़ा होता है या नहीं ?
दीदी : वो तो ठीक है नहाते वक़्त मैने देखा है रात को मौक़ा नहीं मिलता.
मैं : हनीमून पर चले जाओ ना .
दीदी : तेरे जीजू ने ये भी ट्राय कर देखा. वो साथ चलने पर तुली.
मैं : सच कहूँ ? तेरी ये ननद को चाहिए है एक मोटा तगड़ा लंड. एक बार चुदवायेगी तो शांत हो जाए गी.
दीदी : तेरे जीजू भी यही कहते हें. लेकिन वो अभी सोलह साल की है कौन चोदेगा उसे ?
मैने शरारत से कहा : मैं चोद लूं ?
दीदी हस कर बोली : तू क्या चोदेगा ? तेरी तो नुन्नी है चोद ने के लिए लंड चाहिए.
मैने पाजामा खोल कर मेरा लौड़ा दिखाया और कहा : ये देख. नुन्नी लगती है तुझे ? कहे तो अभी खड़ा कर दूं. देखना है ?
दीदी : ना बाबा ना. सलामत रहे तेरा लंड
मैं : मान लो की मैने रानी को चोद भी लिया, जीजू को पता चले की मैने उसे चोदा है तो तेरे पैर ख़फा नहीं होगे ?
दीदी : ना, वो भी उन से थक गये हें. कहते थे की कोई अच्छा आदमी मिल जाय तो उसे हर्ज नहीं है रानी की चुदाई में .
मैं : तो, दीदी, मुझे आने दे तेरे घर. ट्राय करेंगे, कामयाब रहे तो सही वरना कुछ नहीं.

दीवाली के दिन आ रहे थे. स्कूल में डेढ़ महीने की छुट्टियाँ पड़ी. दीदी ने जीजू से बात की होगी क्यूं की उन का ख़त आया पिताजी के नाम जिस में मुझे दीवाली मनाने अपने शहर में बुलाया था. मैं दीदी के ससुराल चला आया. मुझे मिल कर दीदी और जीजू बहुत ख़ुश हुए. हर वक़्त की तरह इस बार भी रानी हून्ह — कर के चली गयी

जीजू सिविल कोर्ट में नौकरी करते थे और अपने पुरखों के मकान में रहते थे. मकान पुराना था लेकिन तीन मज़ले वाला बड़ा था. आस पास दूसरे मकान जो थे वो भी पुराने थे लेकिन ख़ाली पड़े थे. शहर के बीच होने पर भी जीजू ने काफ़ी प्राईवसी पाई थी.
यहाँ आने के पहले दिन मुझे पता चला की जीजू के फ़ैमीली में वो और रानी दोनो ही थे. कई साल पहले जब उन के माता पिता का देहांत हुआ तब रानी छोटी बच्ची थी. उस दिन से जीजू ने रानी को अपनी बेटी की तरह पाला पोसा था. उस दिन से ही रानी अपने भैया के साथ सोती थी और इतनी लगी हुई थी की दीदी के आने पैर छूटना नहीं चाहती थी. दीदी की समस्या हल कर ने का कोई प्लान मैने बनाया नहीं था. मैं सोचता था की क्या किया जाय. इतने में जीजू हम सब को छोटी सी ट्रिप पर ले गये और मेरा काम बन गया.

शहर से क़रीबन तीस माइल दूर ग़लटेश्वर नाम की एक जगह है मही सागर नदी किनारे एक सदीओ पुराना शिव मंदिर है आसपास नेचारल सेटिंग है कई लोग पीकनिक के वास्ते यहाँ आते हें. आने जाने में लेकिन सारा दिन लगता है

मैने एक अच्छा सा केमेरा ख़रीदा था जो मैं हमेशा साथ रखता था. इस पीकनिक पर वो ख़ूब काम आया. मैने जीजू और दीदी की कई फ़ोटू खीछी. मैं जान बुज़ कर रानी की उपेक्षा करता रहा, उस के जानते हुए उस की एक भी फ़ोटू नहीं ली. हालाँकि मैने उस की चार पिक्चर ली थी जिस का उस को पता नहीं चला था.

अचानक मेरी नज़र मंदिर की बाहरी दीवारों पर जो शिल्प था उस पर पड़ी. मैं देखता ही रह गया. वो शिल्प था चुदाई करते हुए कपल्स का. अलग अलग पोज़ीशन में चुदाई करती हुई पुतलियाँ इतनी आबेहुब थी की ऐसा लगे की अभी बोल उठेगी. जीजू से छुपा छुपी मैं फटा फट उन शिल्प के फ़ोटू खींच ने लगा. इतने में दीदी आ गयी चुदाई करते प्रेमी के शिल्प देख वो उदास हो गयी

रानी मुझ से क़तराती रही. सारा दिन इधर उधर घुमे फिरे और शाम को घर आए

दूसरे दिन मैने मेरे दोस्त के स्टूडिओ में फ़िल्म्स दे दी, डेवेलप और प्रिंट निकालने के लिए तीसरे दिन दीदी और जीजू को कुछ काम के वास्ते बाहर जाना पड़ा, सुबह से गये रात को आने वाले थे. ट्यूशन क्लास की वजह से रानी साथ जा ना सकी. दोपहर के दो बजे वो क्लास से आई. फ़ोटो स्टूडिओ रास्ते में आता था इस लिए वो पिक्चर्स लेते आई. आते ही उस ने पेकेट मेरे तरफ़ फेंका और रसोईघर में चली गयी चाय बनाने. मैं उस के पीछे पीछे गया. अकडी हुई मेरी ओर पीठ कर के वो खड़ी थी.
मैने कहा : मेरे लिए भी चाय बनाना.
ग़ुस्से में वो बोली : ख़ुद बना लेना. नौकर नहीं हूँ तुमारी.
मैने पास जा कर उस के कंधे पर हाथ रक्खा. तुरंत उस ने छिड़क दिया और बोली : दूर रहो मुझ से. छुओ मत. मुझे ऐसी हरकतें पसंद नहीं.
मैने धीरे से कहा : अच्छा बाबा, माफ़ करना. लेकिन ये तो बताओ की तुम मुझ से इतनी नाराज़ क्यूं हो ? क्या किया है मैने ?
रानी : अपने आप से पूछिए क्या नहीं किया है आप ने.
में : अच्छा बाबा, क्या नहीं किया है मेने?
अब तक वो मुज़ से मुँह फेरे खड़ी थी. पलट कर बोली : बड़े भोले बनते हो. सारी दुनिया के फ़ोटू निकाल ते हो, यहाँ तक की वो मंदिर के पत्थरों भी बाक़ी ना रहे. एक में हूँ जिस को तुम टालते रहे हो. मेरी एक भी फ़ोटू नहीं खींची तुमने. आप का क़ीमती केमेरा बिगड़ जाय इतनी बद सूरत हूँ ना में ?
में : कौन कहता है की मेने तुमारी तस्वीर नहीं खींची ? भला, इतनी सुंदर लड़की पास हो और फ़ोटू ना निकाले ऐसा कौन मूर्ख होगा ?
रानी : मुज़े उल्लू मत बनाईए. दिखाइए मेरी फ़ोटो
में : पहले चाय पीलाओ.
उस ने दोनो के लिए चाय बनाई. चाय पी कर हम मेरे कमरे में गये और फ़ोटो देखने बैठे. में पलंग पर बैठा था. वो मेरी बगल में आ बैठी, थोड़ी सी दूर. उस ने पतले कपड़े का फ़्रॉक पहना था जिस के आरपार अंदर की ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी. उस के बदन से मस्त ख़ुश्बू आ रही थी. सूंघ कर मेरा लौड़ा जाग ने लगा.

पहले हम ने दीदी और जीजू की फ़ोटू देखी. बाद में रानी की चार फ़ोटू निकली. अपनी पिक्चर देखने के लिए वो नज़दीक सरकी. मेरे कंधे पर हाथ रख वो ऐसे बैठी की हमारी जांघें एक दूजे से सट गयी मैं मेरी पीठ पर उस के स्तन का दबाव महसूस करने लगा. बेचारा मेरा लंड, क्या करे वो ? खड़ा हो कर सलामी दे रहा था और लार टपका रहा था. बड़ी मुश्किल से मैने उसे छुपाए रक्खा.

रानी की चार फ़ोटो में से तीन सीधी सादी थी जिस में वो हसती हुई पकड़ी गयी थी. बड़ी प्यारी लगती थी. चौथी फ़ोटू में वो नीचे झुकी हुई थी और पवन से दुपट्टा सीने से हट गया था. उस की चुचियाँ साफ़ दिखाई दे रही थी. पिक्चर देख वो शरमा गयी और बोली : तुम बड़े शैतान हो.
मैं : पसंद आया मेरा काम ?
मेरी जाँघ पर हाथ रख कर उस ने कहा : जी, पसंद आया.
मैं : तो ओर फ़ोटू खींच ने दो गी ?
रानी : हाँ हाँ लेकिन ये बाक़ी की फ़ोटू किस की है ?
मैं : रहने दे. ये फ़ोटू तेरे देखने लायक नहीं है
रानी : क्या मतलब ? नंगी फ़ोटू है क्या ? देखूं तो मैं

इतना कह कर अचानक वो फ़ोटू लेने के लिए झपटी. मैने हाथ हटा दिया. इस छीना झपटी में वो गिर पड़ी मेरी बाहों में. वो संभल जाए इस से पहले मैने उसे सीने से लगा लिया. झटपट वो संभल गयी शर्म से उस का चहेरा लाल लाल हो गया और उस ने सर झुका दिया. मेरे पहलू से लेकिन वो हटी नहीं. मैने मेरा हाथ उस की कमर में डाल दिया. उंगलियाँ मलते मलते दबे आवाज़ से वो बोली : क्यूं सताते हो ? दिखाओ ना.

मेरे पास कोई चारा नहीं था. चुदाई करते हुए शिल्प की पिक्चर्स मैं दिखाने लगा. मुस्कराती हुई, दाँतों में उंगली चबा ती हुई वो देखती रही.
अंत में बोली : बस ? यही था ? ये तो कुछ नहीं है भैया के पास एक किताब है जिस में सच्चे आदमी और औरतों के फ़ोटू है
मैं : तुझे कैसे मालूम ?
रानी : मैने किताब देखी है देखनी ही तुझे ?
मैं : हाँ — हाँ —-ज़रूर.
खड़ी हो कर वो बोली : चलो मेरे साथ.

अब दिक्कत क्या थी की मेरा लंड पूरा तन गया था. निकार के बावजूद उस ने मेरे पाजामा का तंबू बना रक्खा था. इस हालत में मैं कैसे चल सकूँ ?

मैने कहा : मैं बैठा हूँ तू किताब ले आ

वो किताब ले आई और बोली : एक दिन जब मैं भैया के कमरे की सफ़ाई कर ररही टी तब मैने पलंग नीचे ये पाई. मेरे ख़याल से भाभी ने भी देखी है
में : दीदी देखे या ना देखे, क्या फ़र्क पड़ेगा ? तू जो उन के बीच आ रही हो.
रानी : में उन के बीच नहीं आ रही हूँ देख रोहित, भैया मेरे सर्वस्व है कोई मुज़ से उन्हें छीन ले ये में बरदास्त नहीं करूंगी, चाहे वो भाभी हो या ओर कोई.
मैं : अरी पगली, दीदी कहाँ जाएगी तेरे भैया को छीन ले कर ? भैया के साथ वो भी तेरी हो जाएगी. कब तक तू कबाब में हड्डी बनी रहेगी ?
रानी : मैं जानती हूँ
मैं : क्या जानती हो
रानी : —- की मेरी वजह से भैया वो नहीं कर पाए हें.
मैं : वो माइने क्या ? मैं समझा नहीं.
रानी : ख़ूब समझते हो और भोले बन रहे हो.
मैं : मैं तो बुद्धू हूँ मुझे क्या पता ?
वो शरमा राही थी फिर भी बोली : मज़ाक छोड़ो. देखो, भैया से मैने सिर्फ़ एक चीज़ माँगी है
में : वो क्या ?
उस ने नज़रें फेर ली और बोली : मैने कहा, एक बार, सिर्फ़ एक बार मुझे देखने दे —- .
में : क्या देखने दे ?
पाओ : शैतान, जानते हुए भी पूछते हो.
मैं : नहीं जानता मैं साफ़ साफ़ बताओ ना.
रानी : वो, वो जो हर दूल्हा दुल्हन करते हें सुहाग रात को
मैं : मुझे ये भी नहीं पता. क्या करते हें ?
रानी : हाय राम, चु — चु — मुझ से नहीं बोला जाता
मैं : ओह, ओ, चुदाई की कह रही हो ?
अपना चहेरा छुपा कर सिर हिला कर उस ने हा कही.
मैं : तुझे दीदी और जीजू की चुदाई देखनी है एक बार, इतना ही ?
उस ने मुँह फेर लिया और हाँ बोली.
मैं : जीजू ने क्या कहा ?
रानी : भाभी ना बोलती है
मैं : मैं उन को समझा उंगा. लेकिन एक ही बार, ज़्यादा नहीं. और एक बात पूछु ? उन को चोद ते देख कर तुम एक्साइट हो जाओ गी तो क्या करोगी ?
रानी : नहीं बता उगी तुझे.
मैने आगे बात ना चलाई. पलंग पैर बैठ मैने उसे पास बुला लिया. वो मेरी बगल में आ बैठी. मैने किताब उस के हाथ में रख दी. मेरा हाथ उस की कमर में डाला. उस ने किताब खोली.

किताब के पहले पन्ने पैर नर्म लोडा और टटार लंड के चित्र थे. देख कर रानी बोली : ऐसा ही होता है क्या बोले इस को ? शीश्न ? मैने देखा है
मेरा लंड तन कर ठुमके ले रहा था. मैने कहा : इस को लोडा कहते हें और इस को लंड. कहाँ देखा है तुम ने ?
वो फिर शरमाई और बोली : किसी को ना कहने का वचन दे.
में : वचन दिया.
रानी : मैने भैया का देखा है कैसे वो बाद में बतौँगी.
मेरा हाथ उस की पीठ सहला ने लगा. वो मेरे और निकट आई. हम दोनो उत्तेजित होते चले थे लेकिन उस वक़्त हमें भान नहीं था.
दूसरे पन्ने पैर बंद और चौड़ी की हुई भोस के फ़ोटू थे .

जान बुज़ कर मैने पूछा : ये भी ऐसी ही होती है क्या ? क्या कहते हें उसे ?
सर झुका कर वो बोली : भोस. ऐसी ही होती है भाभी की भी ऐसी ही होगी.
मैं : तेरी कैसी है ? देखने देगी मुज़े ?
रानी : तुम जो तुमरा दिखाओ तो मैं मेरी दिखा उंगी.
मैं खड़ा हो गया. नाडी चोद पाजामा उतरा और लंड आज़ाद किया.
थोड़ी देर ताज़जुबई से वो देखती रही, फिर बोली : मैं छ्छू सकती हूँ ?
मैं : क्यूं नहीं ?
उंगलिओं के नोक से उस ने लंड छुआ. कोमल उंगलिओं का हलका स्पर्श पा कर लंड ओर कड़ा हो गया और ठुमका लेने लगा.
रानी ; ये तो हिलता है
मैं : क्यूं नहीं ? तुझे सलाम कर रहा है
रानी : धत्त,
मैं : मुट्ठि में ले तो ज़रा.
उस ने मुट्ठि से लंड पकड़ा तो ठुमक ठुमक कर के वो ज़्यादा कड़ा हो गया.
उस की मद होशी बढ़ ने लगी साँसें तेज़ चल ने लगी चहेरा लाल हो गया.
वो बोली : हाय रे, इतना कड़ा क्यूं हुआ है ? दर्द नहीं होता ऐसे तन जाने से ?
मैं : ऐसे कड़ा ना हो तो चूत में कैसे घुस सके और कैसे चोद सके ?
रानी : ये तो लार भी निकालता है
वाकई मेरा लंड अपनी लार से गिला होता चला था.
मैं : ये लार नहीं है अपनी प्यारी चूत के लिए वो आँसू बहा रहा है
मुट्ठि से लंड दबोच कर वो बोली : रोहित, बड़ा शैतान है तू.
मैने उसे बाहों में भर लिया और कहा : ऐसे ऐसे मुठ मार.
वो डरते डरते मुठ मारने लगी उस के गोरे गाल पैर मैने हलकी किस कर दी और कहा : मझा आता है ना ?
जवाब में उस ने मेरे गाल पर किस की.
मैं : अब सोच, जब ये चूत में घुस कर ऐसा करे तब कितना आनंद आता होगा.
वो बोली नहीं, उस ने मुट्ठि से लंड मसल डाला.
मैने लंड छुड़ा कर कहा ; अब तेरी बारी .

शरमाती हुई वो खड़ी हो गयी फ़्रॉक नीचे हाथ डाल कर निकर निकल ने लगी मैने कहा : ऐसे नहीं, पलंग पर लेट जा.
वो चित लेट गयी शरम से नज़र चुरा कर उस ने फ़्रॉक उपर उठाया.

उस की गोरी गोरी चिक्नी जांघें खुली हुई. देख कर मेरा लंड फन फनाने लगा. उस ने सफ़ेद पेंटी पहनी थी. भोस के पानी से पेंटी गीली हो कर चिपक गयी थी. कुले उठा कर उस ने पेंटी उतारी. तुरंत उस ने हाथ से भोस ढक दी.
मैने कहा : ऐसे छुपा ओगी तो मैं कैसे देख पा उंगा ?
उसकी कलाई पकड़ कर मैने उस के हाथ हटा दिए उस की छोटी सी भोस मेरे सामने आई .

काले घुंघराले झांट से ढकी उस की भोस छोटी थी. मोन्स उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से लगे हुए थे. तीन इंच लंबी दरार चिकाने पानी से गीली हुई थी. मैने हलके से छुआ. तुरंत उस ने मेरा हाथ हटा दिया मैने कहा : तूने मेरा लंड पकड़ा था, अब मुझे तेरी छुने दे.

मैने फिर भोस पर हाथ रखा. उस ने मेरी कलाई पकड़ ली लेकिन विरोध किया नहीं. उंगलिओं से बड़े होत चौड़े कर मैने भोस का भीतरी हिस्सा देखा. किताब में दिखाई थी वैसी ही रानी की भोस थी. जवान कँवारी लड़की की भोस मैं पहली बार देख रहा था. छोटे होठ नाज़ुक और पतले और जाँवली रंग के थे. दरार के अगले कोने में एक इंच लंबी टटार क्लैटोरिस थी. क्लैटोरिस का छोटा मत्था चेरी जैसा दिखाई दे रहा था. दरार के पिछले हिस्से में था चूत का मुँह जो गिला गिला हुआ था. मैने उंगली के हलके स्पर्श से दरार को टटोला. जैसे मैने क्लैटोरिस को छुआ वो झटके से कूद पड़ी. मैने चूत का मुँह छुआ और एक उंगली अंदर डाली. उंगली योनी पटल तक जा सकी
हम दोनो काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. उस ने आँखें बंद कर दी थी. मुझे यहाँ तक याद है की अपनी बाहें लंबी कर उस ने मुझे अपने बदन पर खींच लिया था, इस के बाद क्या हुआ और कैसे हुआ वो मुझे याद नहीं. वो जब चीख पड़ी तब मुझे होश आया की मैं उस के उपर लेटा था और मेरा लंड झिल्ली तोड़ कर आधा चूत में घुस गया था. वो मुझे धकेल कर कहती थी : उतर जाओ, उतर जाओ, बहुत दर्द होता है
मैने उस के होठ चूमे और कहा : ज़रा धीरज धर , अभी दर्द कम हो जाएगा.
वो बोली : तू क्या कर रहा है ? मुझे चोद रहा है ?
मैं : ना, हम एक दूजे को चोद रहें हें.
रानी : मुझे गर्भ लग जाएगा तो ?
मैं : कब आई थी तेरी माहवारी ?
रानी : आज कल में आनी चाहिए.
मैं : तब तो डर ने की कोई बात नहीं है कैसा है अब दर्द ?
रानी : कम हो गया है
मैं : बाक़ी रहा लंड डाल दूं अब ?
वो घबड़ा कर बोली : अभी बाक़ी है ? फिर से दुखेगा ?
मैं : नहीं दुखेगा. तू सर उठा कर देख, मैं होले होले डाल उंगा.
मैं हाथों के बल अध्धर हुआ. वो हमारे पेट बीच देखने लगी हलका दबाव से मैने पूरा लंड उस की चूत में उतार दिया.

अब हुआ क्या की मेरी एक्सात्मेंट बहुत बढ़ गयी थी. दीदी के घर आ कर मुठ मार ने का मौक़ा मिला नहीं था. बड़ी मुश्किल से मैं अपने आप को झड़ ने से रोक रहा था. ऐसे में रानी ने चूत सिकोडी. मेरा लंड डब गया. फिर क्या कहना ? धना धन धक्के शुरू हो गये मैं रोक नहीं पाया. रानी की परवाह किए बिना मैं चोद ने लगा और आठ दस धक्के में झड़ पड़ा.

उस ने पाँव लंबे किया और मैं उतरा. उस ने भोस पर पेंटी दबा दी. चूत से ख़ून के साथ मिला हुआ ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा. बाथरूम में जा कर हम ने सफ़ाई कर ली

वो रो ने लगी मैने उसे बाहों में भर लिया, मुँह चूमा और गाल पर हाथ फ़िरया. वो मुज़ से लिपट कर रोती रही.
मैं : क्यूं रोती हो ? अफ़सोस है मुझ सेचुदाई की इस बात का ?
मेरे चहेरे पर हाथ फिरा कर बोली : ना , ऐसा नहीं है
मैं : बहुत दर्द हुआ ? अभी भी है ?
रानी : अभी नहीं है उस वक़्त बहुत दर्द हुआ. मुझे लगा की मेरी —- मेरी —— चूत फटी जा रही है लेकिन तू इतनी जल्दी में क्यूं था ? तेरा बदन अकड गया था और तू ने मुझे भिंस डाला था. और — तेरा ये — ये — लंड कितना मोटा हो गया था ? क्या हुआ था तुझे ?
मैं : इसे ओर्गाझम कहते हें, जिस वक़्त आदमी सब कुछ भूल जाता है और अदभुत आनंद मेहसूस करता है
रानी : लड़कियों को ओर्गाझम नहीं होता ?
में : क्यूं नहीं. तुझे मझा ना आया ?
रानी : तू चोद ने लगा तब भोस में गुदगुदी होने चली थी, लेकिन तू रुक गया.
मैं : अगली बार चोदेन्गे तब मैं तुझे ओर्गाझम करवा उंगा.
रानी : अभी करो ना. देखो तेरा ये फिर से खड़ा होने लगा है
मैं : हाँ लेकिन तेरी चूत का घाव अभी हरा है मिट ने तक राह देखेंगे, वरना फिर से दर्द होगा और ख़ून निकलेगा.
मेरा लंड फिर टन गया था. रानी ने उसे मुट्ठि में थाम लिया और बोली : होने दो जो हॉवे सो. मुझे ये चाहिए ——
मैं ना कैसे कहूँ भला ? मुझे भी चोद ना था. मैने किताब निकली. इन में एक फ़ोटू ऐसा था जिस में आदमी नीचे लेटा था और औरत उस की जांघें पर बैठी थी. मैने ये फ़ोटू दिखा कर कहा : तू ऐसा बैठ सकोगी ?
रानी : हाँ , लेकिन इस में आदमी का वो कहाँ है ?
मैं : वो औरत की चूत में पूरा घुसा है इस लिए दखाई नहीं देता. आ जा.

मैं चित लेट गया. अपने पाँव चौड़े कर वो मेरी जांघें पर बैठ गयी मैने लंड सीधा पकड़ रक्खा, उस ने चूत लंड पर टिकाई. आगे सीखा ने की ज़रूरत ना थी. कुले गिरा कर उस ने लंड चूत में ले लिया. लंड और चूत दोनो गिले थे इस लिए कोई दिक्कत ना हुई. पूरा लंड घुस जाने पर वो रुकी. लंड ने ठुमका लगाया. उस ने चूत सिकोडी. नितंब उठा गिरा कर वो चोद ने लगी
चौड़े किए गये भोस के होठ और बीच में टटार क्लैटोरिस मैं देख सकता था. मैने अंगूठा लगा कर क्लैटोरिस सहलाई. आठ दस धक्के में वो थक गयी और मुझ पर ढल पड़ी.

लंड को चूत में दबाए रख कर मैने उसे बाहों में भर लिया और पलट कर उपर आ गया. तुरंत उस ने जांघें पसारी और उपर उठा ली. दो तीन धक्के मार कर मैने पूछा : दर्द होता है ?
रानी ने ना कही. मैं धीरे गहरे धक्के से चोद ने लगा. पूरा लंड निकाल ता था और घकच से डाल देता था. रानी अपने नितंब हिला ने लगी और मुँह से सी सी सी कर ने लगी योनी में फटाके होने लगे. मैने धके की रफ़्तार बढ़ाई.
वो बोली : उसस उसस मुझे कुछ हो रहा है रोहित, ज़ोर से चोदो मुझे.
मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से उसे चोद ने लगा.

अचानक उसे ओर्गाझम हो गया. ओर्गाझम दौरान मैं रुका नहीं, धके देता चला. वो बेहोश सी हो गयी ओर्गाझम शांत होने पर उस की चूत की पकड़ क़म हुई. मैने अब धीरे से पाँच सात गहरे धके लगाए और अंत में लंड को चूत की गहराई में पेल कर ज़ोर से झरा.
एक दूजे से लिपट कर हम थोड़ी देर पड़े रहे. इतने में दीदी और जीजू आ गये फटा फट हम ने ताश की बाज़ी टेबल पर लगा दी. जब जीजू ने पूछा की हम ने क्या किया तब रानी ने फिर मुँह माचकोड़ा — हून्ह — कहते हुए. मैने कहा : हम ताश खेलते थे, रानी एक बार भी जीती नहीं.

रात का खाना खा कर सब सो गये आज पहली बार रानी अपने भैया से अलग कमरे में सोई. मैं बिस्तर पड़ा लेकिन नींद नहीं आई. सोच ने लगा, क्या मैने रानी को चोदा था या कोई सपना था ? उस की चूत याद आते ही नर्म लोडा उठाने लग ता था और उस में हल्का सा मीठा दर्द होता था. दर्द से फिर लोडा नर्म पड़ जाता था. इन से तसल्ली हुई की वाकई मैने रानी को चोदा ही था.

और दीदी और जीजू सारा दिन कहाँ गये थे ? वापस आने पर दीदी इतनी ख़ुश क्यूं दिखाई देती थी, उस के चहेरे पर निखार क्यूं आ गया था ? जीजू भी कुछ गुनगुना रहे थे. और आज की रात जब रानी बीच में नहीं है तब जीजू दीदी को चोदे बिना छोड़ेंगे नहीं. मुझे रानी की भोस याद आ गयी दीदी की भी ऐसी ही थी ना ? जीजू का लंड कैसा होगा ? रानी को चोद ने का मौक़ा कब मिलेगा ? विचारों की धारा के साथ मेरा हाथ भी लंड पर चलता रहा. दीदी की और रानी की चुदाई सोचते सोचते में झड़ पड़ा. नींद कब आई उस का पता ना चला.

दूसरे दिन जीजू को तीन दिन वास्ते बाहर गाँव जाना हुआ. मैने दीदी से पूछा की वो लोग कहाँ गये थे.
मुस्कुराती वो बोली : रोहित, ये सब तेरी वजह से हो सका. तू था तो रानी ने हमें अकले जाने दिया. हम गाये थे अहमदाबाद, एक अच्छी सी होटेल में. सारा दिन ख़ाया पिया इधर उधर घुमे और —-
मैं : —- और जो भी किया, चुदाई की या नही ?
जवाब में उस ने चोली नीची कर के आधे स्तन दिखाए. चोट लगी हो वैसे धब्बे पड़े हुए थे. जीजू ने बेरहमी से स्तन मसल डाले थे.
मैं : कितनी बार चोदा जीजू ने ?
दीदी मुज़ से बड़ी थी फिर भी शरमाई और बोली : तुज़े क्या ? तूने क्या किया सारा दिन ?
मैने सब आहेवाल दे दिया. रानी को मैने चोदा जान कर वो इतनी ख़ुश हुई की मुझ से लिपट गयी और गाल पैर किस कर ने लगी मैने पूछा क्यूं वो रानी को अपनी चुदाई देखने ना कहती थी.
वो बोली : तेरे जीजू अपनी बहन से शरमाते हें, कहते हें की वो देखती होगी तो उन का वो खड़ा नहीं हो पाएगा

मैने इस उलझन का रास्ता निकाल ना था. सब से पहले मैने जा कर दीदी का बेडरूम देखा. कमरा बड़ा था. एक ओर बड़ा पलंग था, दुसरी ओर चौड़ी सिटी थी. पलंग के सामने वाली दीवार में एक बंद दरवाज़ा था. दरवाज़े पर अक बड़ा आईना लगा हुआ था. आईने की वजह साफ़ थी. सिटी के सामने बड़ा स्क्रीन वाला टीवी था, वीडीयो प्लेयर और सीडी प्लेयर के साथ. एक कोने में बाथरूम का दरवाज़ा था.

मैने मकान की टूर लगाई बेडरूम की बगल में एक छोटी सी कोटरी पाई . कोटरी में फालतू सामान भरा था. एक दूसरा बंद दरवाज़ा था जो मेरे ख़याल से बेडरूम में खुल ता था. मैने चाकू निकाला और बंद दरवाज़े की पेनल में एक सुराख बना दिया. दरवाज़ा पुराना हो ने से कोई देर ना लगी सुराख से मैने झाँखा तो दीदी का बेडरूम साफ़ दिखाई दिया. मेरा काम हो गया.

मैं अब जीजू के लौट आने की राह देख ने लगा. दरमियान मैने वो किताब ठीक से पढ़ ली. काफ़ी जानकारी मिली. बारह साल की कच्ची कँवारी को चोद ने के लिए कैसे गरम किया जाय वहाँ से ले कर तीन बच्चों क शादी शुजा मा को कैसे ओर्गाझम करवाया जाय वो सब पिक्चर्स के साथ उस में लिखा था. किताब पढ़ कर रोज़ मैं हस्त मैथुन कर ता रहा क्यूं की रानी मुझ से दूर रहती थी.

एक दिन रानी को एकांत में पा कर किस कर के मैने कहा : चल कुछ दिखा उन. हाथ पकड़ कर मैं उसे कोटरी में ले गया और सुराख दिखाई. उस ने आँख लगा कर देखा तो दंग रह गयी
मैने कहा : जीजू आएँगे उसी दिन दीदी को चोदेन्गे. . तू रात को यहाँ आ जाना चुदाई देखने मिलेगी. मैं दीदी से कहूँगा की वो रोशनी बंद ना करे,
मेरे गाल पैर चिकोटी काट कर वो बोली : बड़ा शैतान है तू.
मैं किस कर ने गया तब ठेंगा दिखा कर वो भाग गयी

जीजू शुक्रवार को आए. दूसरे दिन शनिवार था. जीजू सिनेमा के लास्ट शो की टिकटें ले आए. दीदी ने मुझे रानी के साथ बिठाने का प्रयत्न किया लेकिन वो मानी नहीं, मुझे जीजू के साथ बैठना पड़ा. पिक्चर बहुत सेक्सी थी. जीजू एक हाथ से दीदी की जाँघ सहलाते रहे थे. दीदी का हाथ जीजू का लंड टटोल रहा था. शो छूटने के बाद जब घर वापस आए तब रात के बारह बजे थेसिनेमा देखने से मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया था. मुझे ये भी पता था की आज की रात जीजू दीदी को चोदे बिना नहीं छोड़ ने वाले थे. मैं सोचने लगा की वो कैसे चोदेन्गे और मुझ से रहा नहीं गया. मैने किताब निकाली और एक अच्छी फ़ोटू देखते देखते मैने मुठ मार ली.

बाद में मैं दबे पाँव कोटरी में पहुँचा. सुराख में से देखा तो बेडरूम में रोशनी जल रही थी. जीजू नंगे बदन पलंग पर बैठे थे और लोडा सहला रहे थे. इतने में बाथरूम से दीदी निकली. उस ने ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. आ कर वो सीधी जीजू की गोद में बैठ गयी उन की ओर पीठ कर के. जीजू ने आईना की ओर इशारा कर के कान में कुछ कहा. दीदी ने शरमा के अपनी आँखों पर हाथ रख दिए जैसे दीदी के हाथ उपर उठे जीजू ने ब्रा में क़ैद उस के स्तन थाम लिए दीदी उन के पर ढल पड़ी और उंगलियों के बीच से आईना में अपना प्रतिबिंब देख ने लगी

जीजू ने हूक खोल कर ब्रा निकाल दी और दीदी के नंगे स्तन सहालाने लगे. दीदी के स्तन इतने बड़े होंगे ये मैने सोचा ना था. जीजू की हथेलियों में समते ना थे. स्तन के सेंटर में बादानी रंग की एरिओला और नीपल थे. आईने में देखते हुए जीजू नीपल मसल रहे थे. दीदी ने सर घुमा कर जीजू के मुँह से मुँह चिपका दिया. जीजू का एक हाथ दीदी के पेट पर उतर आया दीदी ने ख़ुद जांघें उठाई और चौड़ी कर दी.

इतने में रानी आ गयी मैने इशारे से कहा की सुराख से देख. वो आगे आ गयी और आँख लगा कर देख ने लगी मैं उस के पीछे सट के खड़ा हो गया, मैने मेरा सर उस के कंधे पर रख दिया. धीरे से मैने पूछा : दीदी की भोस देखती हो ? तेरे जैसी ही है ना? साइज़ में ज़रा बड़ी होगी. मेरे हाथ रानी की कमर पर थे. होले होले मेरा हाथ पेट पर पहुँचा और वहाँ से स्तन पर

रानी ने नाईटी पहनी थी, अंदर ब्रा नहीं थी. बड़ी मौसंबी की साइज़ के स्तन मेरी हथेलिओं में समा गये दबाने से दबे नहीं ऐसे कठिन स्तन थे. नाईटी के आरपार कड़ी नीपल्स मेरी हथेलिओं में चुभ रही थी. वो दीदी की चुदाई देखती रही और में स्तन के साथ खेलता रहा. थोड़ी देर बाद मैने उसे हटाया और नज़र लगाई.

दीदी अब पंग पर चित पड़ी थी. उपर उठाई हुई और चौड़ी की हुई उस की जांघें बीच जीजू धक्का दे रहे थे. कुले उछाल कर दीदी जवाब दे रही थी. आईना में देखने के लिए जीजू ने पोज़ीशन बदली. अब दीदी का सर आईना की ओर हुआ. जीजू फिर जांघें बीच गये और दीदी को चोद ने लगे. इस बार चूत में आता जाता उन का लंड साफ़ दिखाई दे रहा था. मैने फिर रानी को देखने दिया.

मेरा लंड कब का तस गया था और रानी के कुले बीच दबा जा रहा था. पेट पर से मेरा हाथ उस के पाजामा के अंदर घुसा. रानी ने मेरी कलाई पकड़ कर कहा : यहाँ नहीं, तेरे कमरे में जा कर करेंगे. मैने हाथ निकाल दिया लेकिन पाजामा के उपर से भोस सहालाने लगा. रानी खेल देखती हुई नितंब हिला ने लगी थोड़ी देर बाद सुराख से हट कर बोली ; खेल ख़तम. ओह, रोहित मुझे कुछ होता है मुझ से खड़ा नहीं रहा जाता.

मैं रानी को वहीं की वहीं चोद सकता था. लेकिन मैने ऐसा नहीं किया. मुझे अब की बार रानी को आराम से चोद ना था. थोड़ी देर पहले ही मैने मुठ मार ली थी इसी लिए मैं अपने आप पैर कंट्रोल रख सका.

मैने उस की कमर पकड़ कर सहारा दिया. वो मुझ पर ढल पड़ी. मैने उसे बाहों में उठा लिया और मेरे कमरे में ले गया. पलंग पर बैठ मैने उसे गोद में लिया.
मैने कहा : देखी भैया-भाभी की चुदाई ?
उस की आँखें बंद थी. अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर वो बोली : भैया का वो कितना बड़ा है ? फिर भी पूरा भाभी की चूत में घुस जाता था. है ना ?

मैने कहा : तेरी चूत में भी ऐसे ही गया था मेरा लंड, याद है ?
रानी : क्यूं नहीं ? इतना दर्द जो हुआ था.
मैं : अब की बार दर्द नहीं होगा. चोद ने देगी ना मुझे ?
अपना चहेरा मेरी ओर घुमा कर वो बोली : शैतान, ये भी कोई पूछ ने की बात है ?

रानी का चहेरा पकड़ कर मैने होठ से होठ छू लिए उस ने किस करने दिया. मैने अब होठ से होठ दबा दिए उस के कोमल कोमल पतले होठ बहुत मीठे लगते थे. थोड़ी देर कुछ किए बिना होठ चिपकाए रक्खे. बाद मैने जीभ निकाल कर उस के होठ चाटे और चुसे. मेने कहा: ज़रा मुँह खोल.

डर ते डर ते उस ने मुँह खोला. मैने उस के होठ चाटे और जीभ उस के मुँह में डाली. तुरंत किस छोड़ कर वो बोली : छी, छी ऐसा गंदा क्यूं कर रहे हो ?
मैं : इसे फ़्रेंच किस कहते हें.इस में कुछ गंदा नहीं है ज़रा सब्र कर और देख, मझा आएगा. खोल तो मुँह.

अब की बार उस ने मुँह खोला तब मैने जीभ लंड जैसी कड़ी बनाई और उस के मुँह में डाली. अपने होठों से उस ने पकड़ ली. अंदर बाहर कर के जीभ से मैने उस का मुँह चोदा. मुँह में जा कर मेरी जीभ चारों ओर घूम चुकी. जब मैने मेरी जीभ वापस ली तब उस ने ठीक इसी तरह अपनी जीभ से मेरा मुँह चोदा. मेरा लंड तन गया, उस की साँसे तेज़ चल ने लगी
किस करते हुए मेरे हाथ स्तन पर उतर आए. पाजामा तो हम ने उतार दिया था, कमीज़ बाक़ी थी. देर किए बिना मैने फटा फट हूक्स खोल कर कमीज़ उतार फैंकी. उस ने मेरी कमीज़ के बटन खोल डाले. मैने मेरी कमीज़ उतार दी. अब हम दोनो नंगे हो गये शरम से उस ने एक हाथ से चहेरा ढक दिया, दूसरा भोस पर रख दिया. स्तन खुले थे, मेरे हाथों ने नंगे स्तन थाम लिए

क्या स्तन पाए थे उस ने.. बड़ी साइज़ की मौसंबी जैसे गोल गोल रानी के कंवारे स्तन कठिन थे. मुलायम चिकानी त्वचा के नीचे ख़ून की नीली नसेन दिखाई दे रही थी. बराबर सेंटर में एक इंच की एरिओला थी जिस के बीच छोटी सी कोमल नीपल थी. एरिओला और नीपल बदामी कलर के थे और ज़रा सा उभर आए हुए थे. उस का स्तन मेरी हथेली में ऐसे बैठ गया जैसे की मेरे वास्ते ही बनाया हो.

स्तन को छूते ही दबोच देने का दिल हुआ लेकिन वो किताब की पढ़ाई याद आई. उंगलियों की नोक से पहले स्तन सहलाया. बाहरी भाग से शुरू कर के स्तन के मध्य में लगी हुई नीपल की ओर उंगलया चलाई. उस के बदन पर रोएँ खड़े हो गये होले से मैने स्तन हथेली में भर लिया और दबाया. रुई के गोले जैसा नर्म हो ने पर भी उस के स्तन दबाए नहीं जाते थे, एक्सात्मेंट से इतने कड़े हो गये थे. छोटी सी नीपल्स सर उठाए खड़ी हो गयी थी. चिपटि में ले कर मैने दोनो नीपल्स मसल दिया. रानी के मुँह से लंबी आह् निकल पड़ी.

मैने उसे लेटा दिया. मैं बगल में लेट गया, वो मुझ से लिपट गयी मैने मेरे होठ नीपल से चिपका दिए उस की उंगलिया मेरे बालों में घूम ने लगी एक एक कर मैने दोनो नीपल्स काई देर तक चुसी. रानी ने मेरी नीपल्स ढूँढ निकली. जब मैने उस की नीपल छोड़ दी तब उस ने मेरी नीपल होठों बीच ले कर चुसी. नीपल से निकाला करंट लंड तक पहॉंच गया. लंड ज़्यादा अकड गया और लार बहाने लगा.

मैने उसे चित लेटा दिया. हमारे मुँह फिर फ़्रेंच किस में जुट गये स्तन छोड़ कर मेरा हाथ उस के सपाट पेट पर उतर आया और भोस की ओर चला. जब माने नाभि को छुआ उस को गुदगुदी हो गयी वो छटपटाई, उस के पाँव उपर उठ गये

मैने उस किताब में पढ़ा था की नयी नवेली किशोरी को लंड से दूर रखना चाहिए ताकि उत्तेजित होने से पहले वो लंड देख कर गभरा ना जाए. रानी तीन बार मेरा लंड ले चुकी थी और अभी उत्तेजित भी हो गयी थी. इसी लिए मैं रुका नहीं. उस का दाहिना हाथ पकड़ कर मैने लंड पर रख दिया.

वो डरी नहीं, लंड पकड़ लिया. लेकिन आगे क्या करना उसे पता नहीं था. वो लंड को पकड़े रही, कुछ किए बिना. फिर भी उस की कोमल उंगलिया का स्पर्श मुझे बहुत मीठा लगता था. लंड ज़्यादा कड़ा हो गया, ठुमके लगाने लगा और भर मार लार बहा ने लगा. मैने उस की कलाई पकड़ कर दिखाया की कैसे मुठ मारी जाती है धीरे धीरे वो मुठ मार ने लगी

मुट्ठि से लंड दबोछ कर वो बोली : कितना बड़ा आर मोटा है तेरा ये ? लोहे जैसा कठिन भी है तुझे दर्द नहीं होता ?
मैं : कड़ा ना हो तो चूत में घुस कैसे पाए ? मोटा और बड़ा है तेरी चूत के लिए
रानी : मुझे तो पकड़ ने से ही ज़ुरज़ुरी हो जाती है

उधर मेरा हाथ भोस पैर पहुँच गया था. मेरी उंगलियाँ भोस की दरार में उतर पड़ी. भोस ने भी भर मार रस बहाया था और चारों ओर गीली गीली हो गयी थी. हलके स्पर्श से मैने भोस सहलाई. रानी ने पाँव उठाए रखे थे, अब उस ने जांघें सिकोड दी. फिर भी मेरी एक उंगली क्लैटोरिस तक जा सकी. जैसे मैने क्लैटोरिस को छुआ, रानी ने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया.

अब किस छोड़ कर मैं बैठ गया और बोला : पारू, देखने दे तेरी भोस.
अपने हाथ से भोस ढकने का प्रयत्न करते हुए वो बोली : ना, रहेने दो, मुझे शर्म आती है
में : मेरा लंड लेने में शर्म ना आई ? अब शर्म कैसी ? शरम आए तो मेरा लंड पकड़ लेना. चल, पाँव खुले कर.

वो नू ना करती रही और मैं उसे पलंग की धार पर ले आया. मैं ज़मीन पैर बैठ गया. जांघें उठा कर चौड़ी की. शरमाते हुए भी उस ने अपने पाँव चौड़े पकड़ रक्खे. किताब में दिखाई थी वैसी ही उस की भोस मेरे सामने आई.
मैने रानी को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.

मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. रानी के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. रानी से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?
राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में रानी पर लेट गया.

मैने कहा : रानी, दर्द हॉवे तो बता देना.

हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने रानी से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?
जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयी

उपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : रानी, मज़ा आता है ना ?

इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?
वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.
मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.

हिचकिचाती हुई वो बोली : म —- मुझे च —- चो — दो.
फिर क्या कहना था ? आधा लंड बाहर निकाल कर मैने फिर घुसा दिया. धीरे और लंबे धक्के से मैं रानी को चोद ने लगा: स र र र र बाहर, स र र र र अंदर. वो भी अपने नितंब हिला हिला कर इस तरह चुदवाती थी की लंड का मत्था चूत की अलग अलग जगह से घिस पाए. किताब में मैने क्लैटोरिस के बारे में पढ़ा था. मैं भी इस तरह धक्के देता था जिस से क्लैटोरिस रगडी जाए.

तीन दिन के बाद ये पहली चुदाई थी रानी के लिए हम दोनो जल्दी एक्साइट हो गये लंड चूत में आते जाते ठुमक ठुमक करने लगा. योनी में स्पंदन होने लगे. रानी ज़ोरों से मुझ से लिपट गई. मेरे धक्के तेज़ और अनियमित हो गये मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ चोद ने लगा. एका एक रानी का बदन अकड गया और वो चिल्ला उठी, मेरी पीठ पर उस ने नाख़ून गाड़ दिए ज़ोर ज़ोर से चारों ओर नितंब घुमा कर झटके देने लगी चूत में फट फट फटाके होने लगे. अपने स्तन मेरे सीने से रगड दिए ओर्गाझम तीस सेकंड चला.
ओर्गाझम के बाद भी वो मुझ से हाथ पाँव से जकड़ी रही. मैं झरने से क़रीब था इसी लिए रुका नहीं. धना धन धना धन धक्के लगता रहा, लंड कड़ा था और चूत गीली थी इसी लिए ऐसी घमासान चुदाई हो सकी. ज़ोरों के पाँच सात धक्के मार मैने पिचकारी छोड़ दी. मेरे वीर्य से उस की योनी छलक गयी
कुछ देर तक हम होश खो बैठे. जब होश आया तो पता चला की रानी चिल्लई थी और हो सकता था की दीदी और जीजू ने चीख सुन भी ली हो. घबड़ा कर मैं झटपट उतरा और बोला : रानी, जलदी कर, चली जा यहाँ से. दीदी जीजू आ जाएँगे तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.
रानी का जवाब सुन कर मैं हैरान रह गया, वो बोली : आने भी दे, तू डर मत. मैं ख़ुद भैया से कहूँगी की तेरा कसूर नहीं है मैं ही अपने आप चु —- चु — वो करवाने चली आई हूँ अब लेट जा मेरे साथ.
हम दोनो एक दूजे से लिपट कर सो गये दीदी या जीजू कोई आया नहीं.

सुबह पाँच बजे वो जागी और अपने कमरे में जाने तैयार हुई. मुँह पर किस कर मुझे जगाया और बोली : मैं चलती हूँ सुबह के पाँच बजे हें, तुम सोते रहो और आराम करो. रात फिर मिलेंगे.
मैं लेकिन कहाँ उस को जाने देनेवाला था ? खींच कर उसे आगोश में ले लिया. वो ना नूं करती रही, मैं जगह जगह पर किस कर ता रहा. आख़िर उस ने पाजामा उतारा और जांघें फैलाई. मेरा लंड तैयार ही था. एक झटके में चूत की गहराई नाँपने लगा. इस वक़्त सावधानी की कोई जरूरत नहीं थी, धना धन फ़ास्ट चुदाई हो गयी तीन मिनिट तक दोनो साथ साथ झरे.मैने रानी को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.

मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. रानी के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. रानी से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?
राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में रानी पर लेट गया.

मैने कहा : रानी, दर्द हॉवे तो बता देना.

हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने रानी से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?
जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयी

उपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : रानी, मज़ा आता है ना ?

इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?
वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.
मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.
ूसरे दिन मैने दीदी से पूछा की आईने में देखते हुए चुदाई का मज़ा कैसा होता है वो बोली : शैतान, तुझे कैसे पता चला की हम —– की हम —– ?
मैं दीदी को कोतरी में ले गया और सुराख दिखाई. वो समझ गयी
शालिनी : तो तू ने आख़िर हमारी चुदाई देख ही ली.
मैं : मैने नहीं, हम ने कहो.
शालिनी : ओह, रानी भी साथ थी ?
मैं : हाँ थी.
शालिनी : तब तो तूने उसे —- उसे —- ?
मैं : हाँ मैने उसे चोदा जी भर के.
शालिनी : चूत भर के कहो. कैसी लगी उस की कँवारी चूत ?
मैं : बहुत प्यारी. मेरा लंड भी कँवारा ही था ना ?
शालिनी : अब क्या ? शादी करेगा उस से ?

दोस्तो, आ गाये हम स्क्वेर ए पर मेरी समस्या. मैं दीदी के घर ज़्यादा रुका नहीं लेकिन जीतने दिन रहा इतने दिन रोज़ाना रात को रानी को चोदा. किताब में दिखाए आसनों में से कोई कोई ट्राय कर देखे. किताब के मुताबिक़ लंड चुस ना उस को सिखाया. अकेले मुँह को क्लैटोरिस से लगा कर मैने उसे ओर्गाझम दिए छुट्टियाँ ख़तम हो ने से पहले मैं घर लौट आया.

सवाल अब ये है की मुझे रानी से शादी करनी चाहिए या नहीं. हम ने जो चुदाई की उस में प्यार शामिल नहीं था. वो लंड के लिए तरस रही थी और मेरी बहन को परेशन किए जा रही थी. मेरे दिमाग़ में बदले की भावना थी और मेरी बहन को सुखी करने का मेरा प्रयत्न था. यूँ कहो की दीदी के वास्ते ही मैने रानी को चोदा —- पहली बार. बाक़ी की चुदाई हम आनंद के लिए करते रहे.

सर की बीवी का नशीला पानी


मैं रोहित कोलकाता , बंगाल . मुझे क्लास १० से ही सेक्स करने की इच्छा बहुत ज़ोर की थी। मैं हमेशा एक शादी शुदा औरत के साथ ही पहली बार सेक्स करना चाहता था क्योंकि वो बहुत एक्सपेरिएंस और सहयोगी होतीं हैं।

बात उस समय की है जब मैं १२वीं में पढ़ा करता था। मैं अंगरेजी के ट्युशन के लिये एक सर के घर जाता था। हम लोग ५ दोस्त एक साथ जाते थे। टीचर हम सब को दोपहर ३ बजे बुलाते थे और ५ बजे छोड़ते थे। हम लोग रोज ट्युशन जाते थे। सर भी शादी शुदा थे और सर की बीवी एक दम मस्त थी और बहुत ही खूबसुरत थी। जिस दिन से मैने उसे देखा था, मैं बस उसी के बारे में सोचता था। उसका नाम रूपा था। वो एक बंगाली टीचर था। मैं आपको बता दूं कि रूपा हर दोपहर अपने बेडरूम में सोती थी और सर हमें होल मे पढ़ाते थे। उसके उठने का समय ४.३० शाम था। वो हर रोज ४.३० के लगभग सो कर उठती थी और गाउन पहन कर बाथरूम के लिये जाती थी जो एक कोमन बाथरूम था, होल में। हम जहां पढ़ते थे वो प्लेस बाथरूम के जस्ट पास ही था। और वो टोइलेट करती थी तो उसका मूत इतना प्रेसर के साथ निकलता था कि उसकी आवाज़ हमारे कानों तक जाती थी। बस यही तमन्ना मन में होती थी कि एक बार उसके साथ सेक्स करने को मिल जाये तो ज़िंदगी हसीन हो जाये।

ऐसे ही दिन गुज़रते गये, और कुछ दिन बाद हमारे सर जो वहां के एक स्कूल में टीचर थे, उनका ट्रांसफ़र हो गया। तभी सर ने हमें कहा कि उनका ट्रांसफ़र हो गया है इस लिये हम किसी और टीचर का बंदोबस्त कर लें। फ़िर सर ने एक ओप्शन और रखा कि उनकी बीवी भी वोही सब्जेक्ट पढ़ाती है, अगर हम चाहे तो उनसे ट्युशन ले सकते हैं। क्योंकि सर का ट्रान्सफर टैमपरेरी बसिस पर हुआ था और उन्हें अभी फ़ैमिली ले जाने का ओर्डर और फ़्लैट नहीं मिला था। इस लिये सर अकेले जा रहे थे।

मेरे सभी दोस्तों ने मना कर दिया और दूसरे टीचर को ज्वोइन कर लिये। मगर मैं रूपा मैडम से ट्युशन लेने को राजी हो गया। सर ने भी मुझे थेंक्स कहा। जब सर जाने लगे तो उन्होने मुझे कुछ बाते बताईं कि मैं अपनी टीचर का ध्यान रखुं, अगर उन्हे कोई चीज़ चाहिये तो उन्हे ला दूं,। और मैने सर को भरोसा दिलाया कि मैं ऐसा ही करुंगा। फ़िर सर चले गये। मैडम घर में एक दम अकेली। उनको कोई बच्चा भी नहीं था। फ़िर मैं मैडम से ट्युशन लेना शुरु कर दिया और कुछ ही दिन में मैं मैडम का दोस्त भी बन गया और मैडम मेरी दोस्त बन गयी। मैं मैडम का बहुत ख्याल रखता था और मैडम मुझे एक स्टुडेंट की तरह बहुत प्यार भी करती थी। धीरे धीरे १ महीना बीत गया। फ़िर एक दिन मैने मैडम से कहा मैडम आपको सर की याद नहीं आती, मैडम ने कहा याद तो बहुत आती है मगर कोई और रास्ता भी तो नहीं है। फ़िर मैने मैडम को हिम्मत करके कहा मैडम एक बात पूछूं तो मैडम ने कहा तुम मुझसे कुछ बोलो उससे पहले मैं तुम्हे एक बात बोलना चाहती हूं। तो मैडम ने कहा कि “जब हम दोनो एक दूसरे का इतना ख्याल रखते हैं और दोस्त भी हैं तो फ़िर आजसे तुम मुझे मैडम नहीं बल्कि रूपा बोलोगे। और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर में ही तो रहते हो इसलिये मुझे मैडम सुनना अच्छा नहीं लगता।” मैं राज़ी हो गया।

फ़िर रुपा ने कहा कि तुम कुछ पूछ रहे थे तो मैने बहुत हिम्मत कर के कहा कि रूपा …। फ़िर मैं चुप हो गया और आधी बात में ही रुक गया। तो रुपा बोली क्या बात है और मैने कुछ नहीं कहा। फ़िर उसने मुझे अपनी कसम दी और बोली कहो ना नहीं तो मुझसे बात मत करना और मुझसे ट्युशन भी मत पढ़ने आना। मैने फ़िर कहा कि तुम बुरा तो नहीं मानोगी तो उसने कहा नहीं फ़िर मैं बोला कि तुम्हे क्या सेक्स करने का मन नहीं करता। ऐसा केहने पर रुपा चुप हो गयी और मेरी तरफ़ आश्चर्य से देखी। मैं डर गया था और मैने उसे सोरी कहा तो उसने कहा कि तुम्हे सोरी नहीं बल्कि मुझे तुम्हे थैंक्स कहना चाहिये। तुम्हे मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ख्याल नहीं। और उसने मुझे मेरे गाल पर एक किस दिया। फ़िर हमने साथ में डिनर किया और मैं अपने घर चला गया।

फ़िर कुछ दिन बाद, मैं एक दिन रुपा के घर गया मगर वो घर में दिखाई नहीं दे रही थी। मैं हर एक रूम देख रहा था मगर वो कहीं नहीं थी फ़िर मैने एक बाथरूम का गेट खोला और मैने वो देखा जो मैने कभी सोचा भी नहीं था। बाथरूम का गेट लोक नहीं था और जैसे ही मैने गेट खोला तो देखा कि रुपा अपने बाथरूम के कमोड पेन में बैठी थी। उसका गाउन, ब्रा और पेंटी पास ही में रखी थी। वो एक दम न्युड थी और उसने अपने लेफ़्ट हैंड की तीन उंगलियां अपनी चूत में घुसा रखी थी और राइट हैंड से अपनी चूची को दबा रही थी। उसकी आंखें बंद थी और वो मज़ा ले रही थी। मैं करीब ५ मिनट तक बिना कुछ कहे उसे देखता रहा। मेरा लंड पूरा खड़ा और हार्ड हो गया था और मेरा मन कर रहा था कि अभी उसे चोद दूं। मगर मैने अपने आप को सम्भाल कर रखा। कुछ देर बाद मैने कहा “रुपा – यह क्या!” रुपा बिल्कुल डर गई और अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने गाउन से अपने जिस्म को ढकने लगी और मेरी तरफ़ देखती हुई अपने रूम में चली गयी। मैं होल में एक सोफ़े पर बैठ गया।

कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आयी और मेरे पास बैठ गयी और कहने लगी “तुम्हे क्या पता एक शादी शुदा औरत इतने दिन अपने पति के बगैर कैसे रह सकती है। सेक्स तो हर एक को चाहिये” और ऐसा कह कर मुझ से लिपट कर रोने लगी। फ़िर मैने उसे सम्भाला। फ़िर उसने मुझे यह बात किसी से नहीं कहने को कहा, उसके पति से भी नहीं। मैं राज़ी हो गया। फ़िर मैने कहा कि अगर तुम्हे सेक्स कि इतनी ही चाहत है तो मैं तुम्हारी यह चाहत पूरी कर सकता हूं। ऐसा कहने पर वो और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी और मुझे फ़िर से एक चुम्मी दी और कहा “सच? क्या तुम मुझे प्यार करोगे। और मेरे पति को भी नहीं बताओगे। तुम कितने अच्छे हो”। ऐसा कह कर वो मुझे चूमने लगी और मैं भी उसे कस कर अपनी बाहों में दबाने लगा। और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे। फ़िर मैं जाने की लिये उठने लगा तो उसने कहा कहां जा रहे और। मुझे कब प्यार करोगे। मैने कहा मैं शाम को ८ बजे आउंगा। और फ़िर चला गया।

मैं शाम को उसके घर पहुंचा और अंदर गया तो देखा कि उसने एक बहुत ही सुंदर ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन रखी है। उसकी बड़ी बड़ी चूची उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रही थी। उसका पेट पूरा दिखाई दे रहा था। क्योंकि वो शादी शुदा थी, उसका जिस्म पूरा हरा भरा था। और मुझे ऐसी ही औरत अच्छी लगती थी। उसकी कमर बड़ी बड़ी थी और गोल भी थी। वो पूरी गोरी नहीं थी पर उसका रंग बहुत ही मस्त था। वो बहुत ही सुंदर और गरम औरत थी। उसका होंठ बड़े बड़े और आंख मोटी मोटी थी। उसकी उंगली लम्बी लम्बी थी। वो सर से पैर तक चोदने लायक थी। उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे वो चुदवाने के लिये बिल्कुल तैयार है।

वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और अपना बेडरूम लोक कर लिया। उसके बाल खुले थे। मैने उसे कहा, कि आज मैं उसे हर तरह से खुश और उसकी सेक्स की गरमी को थंडा कर दूंगा। वो मुस्कुरा कर बोली चलो देखते हैं। उसके ऐसा कहने पर मेरा लंड और गरम हो गया। और मैने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमने लगा। फ़िर मैने उसे बेड पर बिठाया और उसके पेट पर अपना हाथ फ़ेरने लगा। वो भी फ़िर जोश में आने लगी और मेरे सिर के बाल को सहलाने लगी। मैने उसकी चूंचियों को अपने एक हाथ से जोर से पकड़ लिया और दबाने लगा। वो पहले तो थोड़ा दर्द से कंराहने लगी फ़िर शांत हो गयी और मैं उन्हे दबाता रहा और ऐसा करते करते उसके साड़ी के पल्लू को ऊपर से गिरा दिया। और धीरे धीरे उसकी साड़ी खोल दी। वो अपने लहंगे में और ब्लाउज में थी। फ़िर उसने मेरे शर्ट और पैंट को उतार दिया। मैं सिर्फ़ अंडरपैंट में था। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर सो गयी और मेरी छाती को चूमने और चाटने लगी। उसके ऐसा करने पर मुझे लगा कि ये पूरी अनुभवी है।

और मुझे फ़िर उसके चूत की गर्मी का भी अंदाजा हो गया। वो मुझे कुछ देर तक चूमती रही और कहा कि तुम मेरी चूची का मज़ा नहीं लेना चाहते और ऐसा कहते कहते उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूची को देख कर मैं हैरान रह गया। उसके निप्पल ब्राउन रंग की थे और उसकी चूची का रंग बिल्कुल गोरा था। मैने उसे एकबार में बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसकी एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को दबाने लगा। वो ज़ोर से आहैं भरने लगी और मुझे और ज़ोर से दबाने को कहा। मैने ऐसा ही किया। उसने मेरे सिर को पीची से पकड़ कर जोर से अपनी चूची पर रगड़ने लगी। ऐसा लगता था जैसे वो अपनी पूरी चूची मेरे मुंह में भर देना चाहती हो। कुछ देर बाद मैने उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार कर फ़ेंक दिया।

वो एक सुंदर फूलों वाली गुलाबी रंग की पेंटी पहनी हुई थी। उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि अभी अपना गरम लंड उसकी चूत में घुसा दूं। उसकी गोरी जांघे मोटी मोटी और अच्छी शेप में थी। मैने उससे पूछा कि तुम अपने पति के साथ सेक्स कैसे करती हो, तो उसने कहा कि वो मुझे ज्यादा मज़ा नहीं देते। मेरी चूची को कुछ देर चूसते हैं और अपना लंड मेरी चूत में डाल देते हैं और कुछ ही देर में झड़ जाते हैं। मुझे तो झड़ने का मौका ही नहीं मिलता। तुमने मुझे जिस दिन बाथरूम में उंगली करते देखा था वो तो मैं उनके होते हुए भी करती हूं। मैने कहा और कुछ नहीं करती हो। उसने कहा और होता ही क्या है। तो मैने उसे कहा कि तुम्हे तो अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। उसने कहा सच, अगर ऐसा है तो जल्दी करो न।

और ऐसा कहने पर मैने उसकी पेंटी को धीरे धीरे उतार दिया। मैने उसे बिल्कुल नंगी कर दिया था। मैने पहलि बार किसी औरत की चूत को ऐसे देखा था। उसकी चूत बिल्कुल कड़ी थी। उसपर हल्के हल्के ब्राउन रंग के बाल चारों तरफ़ थे। मैने फ़िर अपना अंडरपैंट उतारा तो मेरा भी मोटा और ७” लम्बा लंड देख कर वो बोली कि ऐसे लंड से चुदवाने का मज़ा मुझे पहली बार आयेगा। मैने कहा इसे टेस्ट करना चाहोगी। उसने कहा मुझे घिन आयेगी। तो मैने कहा कर के तो देखो। फ़िर मैने उसे बिना कुछ कहे उसके दोनो पैर को चौड़ा किया और उसके पैरों के बीच बैठ कर उसकी चूत में एक चुम्मी दे दी। ऐसा करने पर उसने कहा, तुम ऐसा मत करो। तुम्हे घिन आयेगी। मैने कहा, इसी में तो सारा मज़ा है।

फ़िर मैने उसे अपनी जीभ से चाटना शुरु किया और उंगली से उसको फ़ैलाने लगा। ऐसा करने पर उसे बहुत दर्द हो रहा था। उसने मुझे ऐसा नहीं करने को कहा मगर मैं कहां सुनने वाला था। वो जोर जोर से सिसकियां भर रही थी। और मैं पूरे जोर से उसके चूत को चूस रहा था। उसके चूत में एक बहुत ही सुंदर खुशबू आ रही थी। उसकी चूत बहुत गरम थी। मैं करीब १५ मिनट तक उसकी चूत को चूसता रहा। कुछ देर बाद उसे अच्छा लगने लगा। मैने उससे पूछा अब कैसा लग रहा है तो उसने कहा अब कुछ अच्छा लग रहा है। मैने फ़िर अपनी दो उंगली उसके गरम चूत में घुसा दी मगर उसकी चूत इतनी कड़ी थी कि वो अंदर नहीं जा रही थी। मैं आप सब को एक बात बता दूं। मैं बहुत सारी ब्लु फ़िल्म देखता हूं और मुझे मालूम है कि किस लड़की को किस तरह चोदना चाहिये। तो चूंकि उसकी चूत में मेरी उंगली नहीं जा रही थी तो मैने उसकी चूत पर अपना थोड़ा सा मूत गिरा दिया। उसने पूछा ये क्यों तो मैने कहा ये इसलिये ताकि तुम्हे दर्द नहीं हो। और ऐसा करने पर उसकी सूखी चूत गीली हो गयी और मेरी उंगली आसानी से अंदर चली गयी और मैं उसे जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। ऐसा करते करते उसका जिस्म काँपने लगा और उसने कहा कि तुम अपना मुंह और उंगली वहां से हटा लो, मैं अब झड़ने वाली हूं। मैने कहा मैं उसे पीना चाहता हूं इतना कहते कहते वो झड़ गयी और मैं उसके पूरे रस को पी गया और एक बूंद भी नहीं गिराया।

उसने कहा तुमने मुझे बहुत संतुष्ट किया है और मैं भी अब तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूं। उसने भी मेरा लंड अपने मुंह में लिया और उसकी चमड़ी को पीछे करके उसके अंदर वाले सेंसिटिव पार्ट को अपने जीभ से रगड़ने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। वो मेरा पूरा ७” लम्बा लंड अपने मुंह में लेना चाहती थी। उसके चूसते कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था इस लिये मैने अपना लंड उसके मुंह से निकालना चाहा मगर वो भी वही करना चाहती थी जो मैने किया मगर मेरे थोड़ा तनने से मेरा लंड उसके मुंह से बाहर निकल गया और मैं वहीं झड़ गया और मेरा सारा रस उसके पूरे मुंह में पिचकारी की तरह छिटक गया, कुछ उसके होठों पर, कुछ उसके गाल पर और चारों तरफ़। वो उस पूरे रस को अपने होठों और उंगली से चाटने लगी और उसका पूरा मज़ा लेने लगी।। फ़िर उसने मुझे थेंक्स कहा और मेरे लंड को अपने होठों से चाट कर साफ़ कर दिया। और अब मुझे अपना लंड चूत में घुसाने को कहा। मैने ऐसा ही किया।

मैने धीरे धीरे अपने लंड को उसके चूत में घुसाने लगा मगर उसके घुसने से पहले ही वो चीख पड़ी। फ़िर मैने थोड़ा और जोर लगाया और ४” उसके चूत में डाला। उसका दर्द और बढ़ गया। वो और जोर से छटपटाने लगी और मुझे बस करने को कहा। उसने कहा “मेरे पति का लंड तो सिर्फ़ ५” का ही है और अब मैं तुम्हारा ९” लम्बा लंड कैसे घुसाउंगी।” मैने कहा तुम उसकी चिंता मत करो और एक और झटका लगाया और मेरा ७” लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े मगर मैं रुका नहीं और धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत बहुत गरम थी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा। कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। वो अपनी कमर को मेरे साथ साथ आगे पीछे करने लगी।

चूंकि हम दोनो अभी अभी झड़े थे इसलिये दोबारा इतनी जल्दी झड़ना मुम्किन नहीं था। इस लिये मज़ा और ज्यादा आने लगा। ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो झड़ गयी। उसकी गरम चूत गीली हो गयी। और वो शांत पड़ गयी। मगर मैं रुका नहीं और मैं उसे चोदता रहा। उसने मुझे अब रुकने को कहा मगर मैं रुका नहीं और अपना काम करता रहा। लगभग १० मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और मैने अपना पूरा माल उसकी चूत में गिरा कर शांत हो कर उसकी बाहों में सो गया। वोह मुझे चूमती रही और मेरे ऊपर लेट गयी। कुछ देर बाद मैने उसे कहा, अभी तो और एक मज़ा बाकी है। उसने कहा वो क्या। तो मैने कहा, अभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा जिसमे तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा। उसे उसके बारे में कुछ नहीं मालुम था। उसे लगा इसमे भी बहुत मज़ा आयेगा और वो राज़ी हो गयी।

फ़िर मैने उसे उसके बेड के एक कोने मे कुत्ते की तरह खड़े होने को कहा और उसके दोनो हाथ बेड के ऊपर रख दिये। उसका पैर ज़मीन पर और उसकी कमर बीच में। फ़िर मैने उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया ताकि वो कुछ गीली हो जाये। फ़िर मैं अपने होठों से उसकी गांड चाटने लगा और उसे पूरी तरह गीली कर दिया। उसे अच्छा लग रहा था। फ़िर मैने अपना लंड अपने हाथों में लेकर उसके गांड के छेद पर लगाया और अपने हाथों से पकड़ कर एक धक्का मारा। मेरे धक्के मारते ही वो चीख पड़ी और कहा मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैने कहा थोड़ा सहन करो। पहली बार है ना। और फ़िर बार बार धक्का लगाता रहा, बार बार वो चीखती रही और बार बार मेरा लंड कुछ अंदर जाता रहा। ऐसा करते करते मेरा लंड ४” अंदर चला गया। उसने मुझसे रोते हुए उसे छोड़ देने को कहा। मगर मैने उसे समझाया कि बस कुछ देर बाद है उसे मज़ा आयेगा।

ऐसा कहने पर वो मान गयी और मैने फ़िर एक जोरदार धक्का लगा कर अपना लंड १.५” और अंदर ठेला। ऐसा करते करते मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया और वो जोर जोर से सिसकियां भरने लगी। फ़िर मैने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु किया और कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा। फ़िर मैने उसकी चूची को पीछे से पकड़ कर दबाने लगा और उसकी गांड भी मारने लगा। ऐसा करते करते मैं फ़िर से झड़ गया और अपना पूरा रस उसकी गांड में दाल दिया। और फ़िर उसे बेड में लेकर लेट गया और उसकी चूची चूसने लगा।

फ़िर मैं बेड पर लेट गया और उसे मैने अपने लंड पर बैठाया और रुपा ने धीरे धीरे मेरा सारा लंड अपनी गांड में घुसवा लिया। वो मेरे लंड पर नाचने लगी और मज़ा लेने लगी। उसने फ़िर अपनी लम्बी उंगली की बड़े बड़े नैल्स से मेरे गांड के आस पास के एरिया को खरोंचने लगी। ऐसा करने पर मुझे बहुत आराम लग रहा था। फ़िर उसने मेरी गांड के छेद पर अपने मुंह का थूक गिराया और अपनी उंगली मेरे मुंह से गीली कर के मेरी गांड में अपनी उंगली घुसाने लगी। मुझे पहली बार बहुत दर्द हुआ और कुछ देर बाद मज़ा आने लगा और वो करीब १५ मिनट तक ऐसा करती रही।

ऐसा करते करते हम दोनो कब सो गये हमे मालूम ही नहीं चला। फ़िर सुबह हुई और हम दोनो एक दूसरे के जिस्म से लिपटे हुए उठे। और जब भी मौका मिलता मैं उसे दिन में भी चोदने लगता। हम दोनो फ़िर हर रोज़ एक साथ सोने लगे और मैने उसे हर एक पोस मे चोदा और मज़ा दिया। हम ब्लुफ़िल्म भी साथ देखते और उस स्टाइल में एक दूसरे को चोदते। मैने उसकी गांड मार मार कर उसकी कमर को चौड़ा कर दिया था जिससे वो और भी सुंदर लगती थी।

मैने अपनी एक पुरानी ख्वाइस भी पूरी करनी चाही। मैने उसे कहा कि जब मैं सर से पढ़ता था और जब तुम दोपहर को सोने के बाद टोइलेट करने जाती थी तो तुम्हारा प्रेसर सुनकर मुझे तुम्हारे चूत को चाटने का मन करता था। तब उसने कहा कि तुम अपनी इच्छा अभी पूरी कर लो। और फ़िर वो बाथरूम में गयी, उसने मूतना शुरु किया उसी प्रेसर के साथ और मैने उसके मूतते हुए अपना मुंह उसके चूत से सटाया। उसका सारा मूत मेरे मुंह पर गिरने लगा और मैं उसका मज़ा लेने लगा।

इस तरह जब मेरा मन करता मैं रुपा को चोदने लगता और वो भी पूरी चाहत के साथ मुझसे चुदवाती।